संदेश

जिन्दगी में हम कहीं ने कही सफल होते ही है। हमारे लिए सफलताओं के पैमाने आत्मनिष्ठ हो सकते है और होते भी है। हो सकता है आपकी सफलताएं और संघर्ष किसी और के लिए बहुत मामूली बात हो। हो सकता है कि कोई और जीवन के किसी दूसरे क्षेत्र में आपसे बहुत अच्छा कर रहा हो। लेकिन इससे आपकी सफलता और संघर्ष का महत्व कम नहीं हो जाता है। खुशी इस बात पर निर्भर नहीं होनी चाहिए की सांसारिक रूप से आपकी कामयाबी कितनी बड़ी है बल्कि मायने यह रखता है की लक्ष्य को लेकर आपके प्रयास , आपकी शिद्दत , आपकी मेहनत कैसी थी।  हर कोई अपने रुझान और जहन के अनुसार सपने बुनता है और उन्हें पाने का प्रयास करता है। कभी-कभी किस्मत हमारा साथ देती है तो कभी दुर्भाग्य पीछा नहीं छोड़ता। लगातार प्रयासों के बावजूद मंजिल कही दिखती नजर नहीं आती। ऐसे में  प्रेरणा और हौसला अफजाई की नई मिसाले हमारे सामने उभर आती है। चुनौतियों  से बड़ी चुनौतियों, मुश्किलों से बड़ी मुश्किलों, और अभावों से बड़े अभावों में भी लोग अपने सपनो को साकार करते हुए दिखते है। सारे प्रश्नचिह्नो और नियति के पूर्ण विरामों के बावजूद कमल जी की मेहनत  और अथक प्रयासों ने उन्हें सफल

पुरानी सारी महफिलें जा चुकी है

पुरानी सारी महफिलें जा चुकी है। यह और बात है कि मै नहीं उठा। पहले असबाब उठाए गए।  फिर चिराग बुझा दिए जो कभी न जाने कि कसमे खाए बैठे थे सबसे पहले वो उठ कर गए  फिर वो गए जो कभी आए ही नहीं। पुरानी सारी महफिलें जा चुकी है। यह और बात है कि मै नहीं गया। धीरे  से यार उठकर गए।  शिकायत करते  जो 

The Last Girl

इरका के उतरी- पश्चिमी भाग मे स्थित सिंजर क्षेत्र में यजीदी छितरे रूप में बसे है। यहीं कोचो गांव नादिया मुराद का गांव है। कोचो - गांवों जैसा गांव था। अधिकांश आबादी खेती और चरवाहा का कार्य करती थी। सींजर पहाड़ की तलहटी मे भेड़ चराने वाले गडरियों, और अरबी व्यापारियों की आवाजाही देखी जा सकती थी। एशिया कि तपा देने वाली गर्मी और शुष्क सर्दियां। तमाम भू - राजनैतिक तनावों और मुश्किलों के बीच लोग जिंदा थे। लेकिन साल 2014 कोचों गांव के लिए कयामत लेकर आया।    कोचों मे 3000 कि आबादी थी और सारे यजीदी। यजीदी अरबी नहीं है, वो पूरे कुर्द भी नहीं है न उन्हें मुस्लिम ही माना जाता है। वो एक अलग पंथ को मानने वाले लोग है। उनकी मान्यताओं पर कुछ प्रभाव इस्लाम और ईसाइयत का भी है तो कुछ प्रभाव ईरान के प्राचीन पारसी धर्म का भी। कुछ समानताएं आश्चर्यजनक रूप से भारत के वैदिक धर्म से भी मिलती है। यजीदीयो के अपने मंदिर होते है, पूर्वजन्म कि मान्यता है, सूर्य कि उपासना और दीप प्रज्वलन भी प्रचलित है।  यजीदी दुनिया के प्राचीनतम धार्मिक समुदायों में से एक है। दजला और फरात नदियों के दोआब मे मेसोपोटामिया सभ्यता आबाद रही।

एस रामानुजन

मेरे लिए एक समीकरण का कोई मतलब नहीं है जब तक कि वो भगवान के विचार को व्यक्त नहीं करता।- एस रामानुजन ( The Man who knew infinity) हम अन्तता के मात्र खोजकर्ता है, पूर्णता कि खोज में। हम इन सूत्रों का आविष्कार नहीं करते, वो पहले से ही मौजूद है। और इंतजार मे रहते है बहुत उज्जवल दिमाग और अंतः प्रज्ञा के। जैसे- रामानुजन।- ब्रिटिश गणितज्ञ हार्डी वो जो साबित नहीं हुआ लेकिन वो है। वो जो घटित नहीं हुआ किन्तु मौजूद है। वो सूत्र/प्रमेय जो हल नहीं किया गया परन्तु उसका अस्तित्व है। बस देखने के लिए रामानुज जैसी अंत: प्रज्ञा होनी चाहीए।  हार्डी जैसे तर्कवादी किसी ऐसे सूत्र या विचार के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते जिसे वो साबित नहीं कर सकते। वो हर उस विचार को नकारते है जिसका मूर्त और अमूर्त साक्ष्य मौजूद नहीं है। लेकिन रामानुजन को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि वो साबित किया जा सकता है या नहीं बस उसे नकारा नहीं जा सकता। कोई भी उसके वजूद से इंकार नहीं कर सकता।  वो उसके होने को पहले महसूस करते है भले ही उसके अस्तित्व को साबित अभी नहीं किया जा सका। यहीं बात रही कि  उन्होंने 3000 से अधिक प्रमेय रचे पहले और

interview transcription।

Interview Board - एयर मार्शल अजीत भोसले Date- 04 अगस्त 2021 Optional - Hindi literature State- राजस्थान  Hobby- Reading Autobiography Job- Primary School Teacher starting- क्या मै अंदर आ सकता हूं sir ? Ch- आइए।  Me- नमस्ते sir 🙏, नमस्ते मैम। Ch- नमस्ते नमस्ते। बैठिए। आराम से बैठो। शील्ड उतार दो। मास्क लगाए रखो। पानी पड़ा है पी सकते हो। आप जहां बैठे थे बाहर डॉक्यूमेंट हॉल में । वहां आपके चाय नाश्ता था या नहीं ?  Me- जी sir था। Ch- आपने कुछ लिया? Me- sir वहां आम का जूस ( फ्रूटी) था। मैने सोचा डॉक्यूमेंट चेक होने के बाद लूंगा लेकिन जब तक मै free हुआ तब तक वो ख़तम हो चुका था तो मैंने केवल पानी लिया sir ( मेम्बर स्माइल 😊) Ch- तो आपने सुबह से कुछ नहीं खाया? Me- सुबह नाश्ता किया था। Ch- लंच भी नहीं? तो आपमें एनर्जी नहीं होगी? Me- Sir बाहर orange का जूस पिया। Ch- अच्छा अब धीरे धीरे पता चल रहा है हमें भी कि क्या क्या खाया। ( सब हंसने लगे) Me 😊 Ch- अच्छा चलो शुरू करते है। आपसे बात करेंगे। आपके विचार जानेंगे। Oky Me -oky sir। Ch- NEP में बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा देने के लिए कहा है। इसके प

होमो सेपियंस कि भाषा।

सेपियंस की सम्प्रेषण दक्षता  सबसे बड़ी खूबी उसकी भाषा का लचीलापन है। हम इतनी भिन्न ध्वनियों के समूह का निर्माण करने में कामयाब रहे है जिससे कि  हम जीवन भर गॉसिप कर सके, महाग्रन्थों को रच सके। लचीला होने का मतलब हम एक ही ध्वनि को अन्य कई ध्वनियों के साथ प्रयोग कर अंतहीन संवाद कर सकते है। यानी हमारी भाषा एक ठोस कड़ा नही होकर ध्वनियों कि एक माला है डॉ हरारी इसके लिए मिसाल देते है कि एक बंदर एक आवाज निकालकर केवल यह कह सकता है  कि "भागो शेर आया है" लेकिन एक होमो सेपियंस इस पर घण्टो बतिया सकता है कि मैंने नदी किनारे एक शेर को हिरणों का पीछा करते देखा है , वो हमारी तरफ आ सकता है और उसे कैसे खदेड़ा जाए....इत्यादि इत्यादि। बताने के अलावा वो सम्भावित परिणामो व उपायों की कल्पना भी कर सकता है। सेपियंस कि इन भाषाई दक्षताओं ने उसे दो काम करने में समर्थ बनाया। पहला गपशप (गॉसिप) करना और दूसरा कल्पनाओं की असीमित उड़ान भरना। गॉसिप करने की खूबी ने होमो सेपियंस को एक गजब की सामाजिक समायोजन की ताकत दी। अब वो समूह में लोगो की निंदा कर सकता था, बोलकर सहयोग व साथ कि गुजारिश कर सकता था और चालाकी से अपन

ए डायरी ऑफ यंग गर्ल।

जैसे आप हो? जैसा आपने महसूस किया ? जो सोचा ? वैसा का वैसा खुद को व्यक्त कर देना, किसी से बात करते वक्त या डायरी लिखते समय मन खोलकर रख देना उतना आसान नही होता जितना लगता है। हम सब जब भी कुछ लिखने का प्रयास करते है खुद के साथ भी पूरी  ईमानदारी से पेश नही आते। यानी हम अपने मनोभावों को पूरी तरह से व्यक्त नही कर पाते है। यहां तक कि हम एक कागज के सामने भी अपना दिल खुलकर नही रख सकते। उससे भी बहुत सी बातें छुपाते है। उससे भी चालाकियां करते है। और उसे भी चयनात्मक ही बताते है। पारदर्शी अभिव्यक्ति सबसे मुश्किल है। लोग अक्सर एक पेज भी बिना किसी बनावट के या लागलपेट के नही लिख सकते है! अपने बारे मैं भी नही; और जो लिख दे तो समझो उसका लेखन कौशल संवेदना की दृष्टि में सर्वोच्च है। अज्ञेय के शब्दों में कह तो भोगने वाले मन और रचना करने वाले मन के मध्य एक अनिवार्य अंतराल होता है। चालाकियों और प्रतीकों की एक खाई होती है । यह अन्तराल जितना कम, यह खाई जितनी उथली होगी। रचना उतनी ही महान बन जाएगी। पश्चिमी साहित्यालोचक टी एस इलियट ने इसे "ऑब्जेक्टिव कोरिलेटिव" कहा है। अर्थात आप जो सोचते और महसूस करत