संदेश

अगस्त, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अनकहें ज्जबात

जिन्दगी के बहुत से किस्सें इस तरह से लिखे होते है।  जिस तरह से नकल करने की चिट पर प्रश्नों के उत्तर लिखे होते है। जो हमें तो समझ में आते है पर पूरी दुनिया को नही। - हर उम्र अपने अनकहें किस्सों के पुलिंदें समेट कर अलग रखती है। इनमें वो जज्बात होते है जो किसी पर जाहिर होने वाले थे लेकिन वक्त और हालातों ने उन्हें जाहिर होने नही दिया। जैसे - उसे हंसतें हुए देख कर जो लगता है वो कैसा लगता है ? यह कोई किसी को कैसे बताए। यह ज्जबात किसी भी तरह से जाहिर नही हो सकते है। जैसे-  मुद्दतों तिनका तिनका जोड कर घरोंदा बनाने और उसके बन जाने की खुशी को वो परिंदा किस तरह से समझाएगा।  वो समझा ही नही पाएगा कि वो ऐसा कर के कितना गहरा गया है खुद में । ऐसे ही हजारों जज्बातों में जो जिन्दगी होती है वो ही जिन्दगी होती है। आखिर में उस गरीब के बच्चें के ज्जबात कैसे समझ पाओगे जिसे झण्डे पर नए जूतें मिलने वाले है वो अपनी खुशी को पूरी रात जाग कर सेलिब्रट तो करेगा लेकिन दर्ज नही! - ishwar