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--"सुभाषचंद्र बोस-"

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सुभाषचंद्र बोस (जन्म 23-01-1897) मैं जिनके बारे में लिखने जा रहा हूँ। उनके लिए मेरी लेखनी बहुत छोटी पड जाती है । और अल्फ़ाजों से जिनकी तारीफ़ नही की जा सकती।   वतन से किस कदर मोहब्बत की जाती है । ये उन से सीखी जा सकने वाली बात है । इन्हें मोहब्बत थी अपने वतन की फ़िजाओ से , अज्जाओ से , ख़ाक से राख से हर उस शख्स से जो उनके वतन का बाशिंदा था । वो मांगने के बजाय अपने अधिकार छीन लने में विश्वास करते थे । जिनके दिलों दिमाग में बस एक ही बात थी वतन की आजादी और एक ऐसी युवा कोम जो अपने इल्म से , अपनी तालीम से वतन-ए-हिन्द को वो मुक्काम दिला सके जिसका वो सदियों से हकदार था और रहा । 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में जानकीनाथ बोस और प्रभावति के घर नौवीं संतान के रूप में पैदा हुए । पिता पेशे से वकिल थे । और बेटे को ICS बनाना चाहते थे। ये वो दौर था जब किसी भारतीय के लिए प्राथमिक शिक्षा प्राप्त करने के लिए मशक्कत करनी पडती थी । 1920 में ICS में चयन हुआ और 1921  में ये कहते हुए त्यागपत्र दे दिया कि " माँ जब गुलाम होतो मेरा फर्ज बनता है की मैं हर वो संभव प्रयास करू जो गुलामी की

मैं ओम ... (एक आवाज )

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        ओम पुरी (18 अक्टूम्बर 1950 -7 जनवरी 2016) नसीरूद्दीन शाह ने अपने परम मित्र की मौत पर कुछ यू कह कर गम जताया होगा । ""कमबख्त जिदंगी और मौत की दौड़ में भी मुझे पीछे छोड़ गया। मैंने पलक झपकाई और वह मौत के आगोश में चला गया ।"" आम आदमी के आक्रोश की आवाज ओमपुरी ने जीवन को सरलता के साथ जीया और मौत को भी उतनी ही सरलता से गले लगा लिया । जब नौकरी छोड कर किस्मत आजमाने Mumbai आये तो लोगो ने कहा इतना बदसुरत व्यक्ति अभिनेता कैसे बन सकता है । ये वो दौर था जब हम सरलता से जटिलता की ओर, हकिकत से कल्पित चमकती दूनिया की ओर, मूल संस्कृति से पाश्चात्य की धूँध की ओर तेजी से बढ रहे थे ।  प्रभावी व काबील अभिनेता की परिभाषा हम ने शक्ल और सुरत देख कर तय की ।  industry के इसी नजरियें को रोबदार आवाज और अदाकारी का अलग ही फन रखने वाले ओमपुरी ने तोडा । जिगर मुरादाबादी का चेहरा भी खुरद्दरा था लेकिन जब वो शायरी करते थे तो खुबसुरत लगने लगते थे कला  इंसान को अंदर से पाक और खुबसुरत बना देती है । कहा जाता है की अपने मुश्किल दौर में ओमपुरी ने ढाबे पर बर्तन उठाने का काम तक किया औ