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एक चिकू वाला,

आपने कभी सब्जी बेची है? नही बेची! आज से पहले मैंने भी नही बेची थी, पर आज कुछ देर के लिए ही सही मैं चिकू वाला बन गया। हुआ यूं की पढकर जब में अपने कमरे की तरफ लोट रहा था तो, सड़क के किनारे एक चिकूवाले ने बड़े बड़े चिकूओं का ढेर लगा रखा था, मुझे चिकू बहुत पसंद है। सोचा ! क्यों न चिकू खाए जाए? मैं चिकू की ठेले के पास गया तो वहाँ कोई नही था, मैंने सोचा चिकूवाला कही गया होगा, मुझे देखकर लोट आएगा, मैं अच्छे अच्छे चिकू छाँट कर चेले में डालने लगा, तभी एक पुरूष और महीला वहाँ आए और बोलो भैया चिकू क्या भाव दे रहे हो! वो मुझे चिकूवाला समझ रहे थे! मैंने सोचा क्या पता जिन्दगी में कभी चिकू बेचने वाला बनू या ना बनू पर क्यों न आज बन ही जाता हूँ। मैंने कहाँ छाँट लो बाबूजी, छाँट लो.. बहुत सस्ते है! वो दोनो चिकू देखने लगे, इधर-उधर कर थोडी देर बाद फिर बोले.. दोगे क्या भाव मैंने कहाँ देदेंगे बाबूजी भाव की क्या फिक्र करते हो आप देखो तो सही बहुत अच्छे चिकू है ऐसे चिकू आपको पूरी मंडी में नही मिलेंगे । मैं भाव कैसे बताता मुझे इनके भाव का कोई अंदाजा नही था। बहुत सारे चिकू छाँट कर महीला ने बोला यह लो तौल