होमो सेपियंस कि भाषा।
सेपियंस की सम्प्रेषण दक्षता सबसे बड़ी खूबी उसकी भाषा का लचीलापन है। हम इतनी भिन्न ध्वनियों के समूह का निर्माण करने में कामयाब रहे है जिससे कि हम जीवन भर गॉसिप कर सके, महाग्रन्थों को रच सके। लचीला होने का मतलब हम एक ही ध्वनि को अन्य कई ध्वनियों के साथ प्रयोग कर अंतहीन संवाद कर सकते है। यानी हमारी भाषा एक ठोस कड़ा नही होकर ध्वनियों कि एक माला है डॉ हरारी इसके लिए मिसाल देते है कि एक बंदर एक आवाज निकालकर केवल यह कह सकता है कि "भागो शेर आया है" लेकिन एक होमो सेपियंस इस पर घण्टो बतिया सकता है कि मैंने नदी किनारे एक शेर को हिरणों का पीछा करते देखा है , वो हमारी तरफ आ सकता है और उसे कैसे खदेड़ा जाए....इत्यादि इत्यादि। बताने के अलावा वो सम्भावित परिणामो व उपायों की कल्पना भी कर सकता है। सेपियंस कि इन भाषाई दक्षताओं ने उसे दो काम करने में समर्थ बनाया। पहला गपशप (गॉसिप) करना और दूसरा कल्पनाओं की असीमित उड़ान भरना। गॉसिप करने की खूबी ने होमो सेपियंस को एक गजब की सामाजिक समायोजन की ताकत दी। अब वो समूह में लोगो की निंदा कर सकता था, बोलकर सहयोग व साथ कि गुजारिश कर सकता था और चालाकी से अपन