संदेश

नवंबर, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं
इंसानी गणित और उसका कर्महीन उत्साह। निष्कर्ष, धारणाएं और थोपी हुई मर्यादा। बाते, खबरें और सूचनाएं सब अधकचरी, और उगली हुई है। सच केवल भोगा और जिया हुआ है। कबीर जिसे आँखन देखी कहते है।  अज्ञेय ठीक ही कहते थे। " मौन ही अभिव्यंजना है; जीतना तुम्हारा सच है उतना ही कहो " कहा सागर ने : चुप रहो! मैं अपनी अबाधता जैसे सहता हूँ, अपनी मर्यादा तुम सहो। जिसे बाँध तुम नहीं सकते उस में अखिन्न मन बहो। मौन भी अभिव्यंजना है : जितना तुम्हारा सच है उतना ही कहो। कहा नदी ने भी : नहीं, मत बोलो, तुम्हारी आँखों की ज्योति से अधिक है चौंध जिस रूप की उस का अवगुंठन मत खोलो दीठ से टोह कर नहीं, मन के उन्मेष से उसे जानो : उसे पकड़ो मत, उसी के हो लो।

इंसानी गणित

ओह! तुम जीत गए। तुम्हारी कितनी बड़ी जीत? ओह! तुम हार गए तुम्हारी कितनी शर्मनाक हार? अच्छी बात, पर सूरज वहीं उगा  जहां से रोज उगता है इंसानी गणित और उसका कर्महीन उत्साह सब निराधार तुम्हारी जीत भी, हमारी हार भी

PS-I

कुंदवई चोल साम्राज्य की एक राजकुमारी ,   परान्तक द्वितीय और वनवन महादेवी की पुत्री थीं।  वह तिरुकोइलूर में पैदा हुई  और चोल सम्राट राजराजा प्रथम की बड़ी बहन थी । उनका नाम इलैयापिरत्ति कुंडवई नचियार था ।   PS -I मूवी में कुंडवाई का किरदार तृषा ने पूरे राजोचित अहम के साथ निभाया। ऐश्वर्या (नंदिनी के रूप में) के बरक्स तृषा की अदाकारी कही से भी कमतर नही है। उनकी भावभंगिमा में राजकुमारी का गुरुर और आत्मविश्वास झलकता है।  इतिहास में राजकुमारियो का वो स्थान नहीं रहा जो राजकुमारो का रहा है। राजकुमारियां का प्रयोग राजनैतिक सांठगांठ और दुर्भी संधियो में एक वस्तु के रुप में होता रहा है। यह कोई नई बात नही है।   लेकिन कुंडवई महलों की साज- सजा और श्रृंगार के लिए ही नही बनी थी। उन्होने इतिहास में पोन्नियन सेलवन (राजराज प्रथम )  की बडी बहन और संरक्षक के साथ राजेंद्र प्रथम के अभिभावक की भूमिका भी निभाई । यानि चोल वंश का महान इतिहास कुंडवई के हाथो में पुष्पित और पल्लवित हुआ।  उन्होंने हिंदू और जैन मंदिरों का निर्माण तो करवाया ही। साथ ही तिरुवंतपुरम में एक अस्पताल और कला विद्यालयों के निर्माण के साक्ष्य भ