इंसानी गणित

ओह! तुम जीत गए।
तुम्हारी कितनी बड़ी जीत?
ओह! तुम हार गए
तुम्हारी कितनी शर्मनाक हार?

अच्छी बात,
पर सूरज वहीं उगा 
जहां से रोज उगता है
इंसानी गणित
और उसका कर्महीन उत्साह
सब निराधार
तुम्हारी जीत भी, हमारी हार भी

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मैं तुमको विश्वास दु।

यादें

interview transcription।