सफर

जीवन एक यात्रा है। मुक्तलिफ तजुर्बों , एहसासो और मुलाकातों का ऐसा सफर जिसके अनगिनत रंग है। शहर बदलते है। ठोर-ठिकाने बदलते है। हमयात्री बदलते है। हर बदलाव के साथ हम भी बदलते है। जहनी तौर पर भी और जज़्बाती तौर पर भी। नए संकल्प पुरानी पराजयों को प्रतिस्थापित कर देते है।  नई उम्मीदें , अधूरी आशाएं और आधे- अधूरे मन से हम एक नए परिदृश्य का हिस्सा बनते है। बस कैनवास के रंग बदलते है। कुछ रंग हम जोड़ते है। कुछ नए दोस्त, थोड़े बहुत अजनबी और अधिकतर अनायास ही जुड़ जाते है। स्याही कम करते है। कुछ सफेदी बढ़ाते है। चटक, सतरंगी, रंगो के कुछ छींटे और इस तरह जबतक कोई मुक्कमल तस्वीर साकार होती है तब तक हम चल देते है।  एक नए कैनवास की तरफ।
 जैसे हम ठीक वह कह नही पाते है जो कहना चाहते है। या जो हमे कहना चाहिए होता है;  जैसे हम ठीक वह रच भी नही पाते है ; जो रचना चाहते है। वैसे ही हम  ठीक उस तरह   जी भी कहां पाते है जैसा जीना हम चाहते थे। लेकिन फिर भी जब भी हम किसी के कैनवास (जिंदगी ) में खुद को अनायास ही  उपस्थित पाते है तो कोशिश करते है की कुछ जिंदगी की कालिमा को  कम करे, कुछ सतरंगी रंगो के छींटे छिड़क दे जैसे औरों ने हमारे कैनवास ( जिंदगी ) को बनाने के लिए किया है। 

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