बच्चों की भाषा

शिक्षण में नवाचार सम्बन्धी मेरा आईडिया प्राथमिक शिक्षा को लेकर है। दरअसल प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षण के दौरान मुझे ऐसा लगा कि कुछ बच्चें ऐसे होते है जो चीज़ो के बारे में बहुत तेजी से समझ बनाते है। वो सम्प्रेषण में इतने ठीक होते है कि बातें जल्द समझने के साथ ही ठीक दिशा में कल्पना भी कर पाते है। वहीं कुछ बच्चे कमजोर सम्प्रेषण की वजह से चीज़ो के प्रति समझ नही बनाते । यानी उन्हें बातें समझ मे नही आ पाती और वे पिछड़ जाते है। फिर चाहे कोई सा भी विषय क्यों ना हो। वो न्यूनतम भाषायी कौशल के साथ संघर्ष करते रहते है और अंततः उनके लिए चीजे मुश्किल हो जाती है।

इस बात को हम एक उदाहरण से समझ सकते है। जैसे कक्षा 5 के वे बच्चे जिन्हें अपने माध्यम की किताब अच्छे से पढ़ना आती है अर्थात वे उस भाषा के प्रयोग ( पढ़ने - लिखने ) के साथ सहज है और उन्हें अधिकांश शब्दों के अर्थ पता है तो वे अन्य विषय वस्तु को बहेतर तरीके से समझ सकते है। जबकि दूसरी ओर वे बच्चे जो भाषा मे सहज नही है वे हर विषय चाहे गणित ही क्यों न हो को समझ नही पाएंगे। क्यूंकि उन्हे अधिकांश शब्दो के अर्थ ही पता नही होते। यह समस्या उनके लिए आगे जाकर और जटिल बन जाती है।

भाषाई कौशल ( पढ़ने - लिखने व बोलने ) बच्चों के अधिगम में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। लेकिन शिक्षण में इस  पर अधिक ध्यान नही दिया जाता है। इसीलिए भाषा की किताबों को बहुत हल्के में लिया जाता है। जैसे हिंदी के साथ हम जो करते है। बच्चों के मष्तिष्क के समग्र विकास व व्यापक अधिगम के लिए जरूरी है कि उनकी भाषायी बुनियाद बेहद सुदृढ और मजबूत हो। फिर चाहे उसकी भाषा कोई भी हो। बेहतर सम्प्रेषण क्षमता विकसित करने के लिए शिक्षण में इन विधियों व तरीकों को अपनाया जा सकता है। जो मैं ZIIEI में दे रहा हूँ।

1.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मैं तुमको विश्वास दु।

यादें

interview transcription।