बच्चों की हेण्डराइटिंग........!
हेण्डराइटिंग को
जैसे दो मुक्तलिफ़ इंसानों के हाथों की लकीरें एक सी नही होती ! नही होते समान पैरों के निशान कही; एक सा नही होता दुनिया मे बहुत कुछ वैसे ही सबकी लिखावट भी कहाँ होती है समान...?
बच्चें कैसे लिखते है...?
झुककर बहुत नजदीक जाकर या लिखते है अधलेटे होकर घुटनो को मोड़े हुए..? कुछ बहुत जोर लगाते है अक्षरों को उकेरने में ; तो कुछ बहुत हल्के फ़ारिक हाथ से लिखते है।
हेण्डराइटिंग से व्यक्तित्व जानने के विज्ञान को ग्राफोलॉजी कहा जाता है। ऐसी साइंस में अक्षरों की बनावट , उनके बीच अंतराल व दाब का अध्ययन कर यह बताया जाता है कि अमूक व्यक्ति में अमूक भावना की तीव्रता कितनी है।
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